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राजस्थान के दौसा जिला मुख्यालय के समीप छोटे से गांव मांगाभाटा की ढाणी कालापापड़ा में जन्मे धर्मेन्द्र कुमार धर्मी का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ। अभावों में पले बढ़े कवि कुमार धर्मी के पिताजी इनके बाल्यकाल के दौरान गंभीर बीमारी से ग्रस्त हो जाने के कारण धर्मी की माँ ने इनके पिताजी की देखभाल करते हुए खेती-बाड़ी करके इनका पालन पोषण किया। धर्मी ने भी माता-पिता के साथ खेती-बाड़ी एवं मेहनत-मजदूरी करते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखी। इन्होंने 2010 में बीएड किया और कड़ी मेहनत के बल पर 2012 में शिक्षक की नौकरी में चयन हुआ। लेकिन प्रकृति को शायद इनकी माँ को सुखी देखना मंजूर नहीं था जो राजकीय सेवा में चयन होते ही इनकी माँ का देहांत हो गया। माँ देहांत के बाद पिताजी भी वैरागी हो गए। पिता के वैरागी होने पर घर की समस्त जिम्मेदारी छोटी उम्र में ही धर्मी के कंधों पर आ पड़ी। वर्तमान में स्वामी विवेकानंद राजकीय मॉडल स्कूल,दौसा में वरिष्ठ अध्यापक के पद पर कार्यरत कुमार धर्मी एक संवेदनशील कवि हैं जिनकी कविताएं विभिन्न राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो हैं। धर्मी की कविताएं प्रकृति प्रेम, नारी उत्थान, शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालने के साथ साथ सामाजिक बुराइयों एवं पाखण्डवाद के विरुद्ध होती है। संघर्षो में पला-बढ़ा यह कवि आज मंच पर अपनी कविताओं के माध्यम से अपना दर्द बयां कर रहा है। कवि कुमार धर्मी का कविता संसार विस्तृत है। कभी स्वयं की फीस भरने के लिए मेहनत मजदूरी करने वाला यह कवि शिक्षक आज खुद निर्धन बालकों की फीस भरकर उनके पढ़ाई में सहयोग कर रहा है। क्योंकि वह अपने बचपन के दिनों को भूला नहीं है। आज कुमार धर्मी एक अच्छे शिक्षक के साथ साथ राष्ट्रीय कवि के रूप में भी अपना स्थान बना चुके हैं।
✍- राजेन्द्र सिंह यादव ‘आज़ाद’
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